सांप काट ले तो इन बातों को ध्यान में रखें

snakeसांप के काटने का डर हर किसी को होता है, ले​किन इस डर को खुद पर हावी न होने दें। खासकर उस समय जब सांप सच में काट ले। क्योंकि कई मौतें सांप के जहर से नहीं बल्कि उसके डर से होती हैं। अगर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की ओर जारी रिपोर्ट की मानें तो हर साल 83 हजार लोग सांप के काटने का शिकार होते हैं, इनमें से 11 हजार लोगों की मौत के मुंह में चले जाते हैं।

लगभग 3000 प्रजातियों में 300 सांप ही जहरीले

दुनिया में लगभग 2600 से 3000 सापों की प्रजाति‍यां होती हैं, इनमें लगभग 300 सांप ही जहरीले होते हैं। ज्यादातर जहरीले सांप मानव शरीर में बहुत कम जहर छोड़ते हैं। भारत में जहरीले सांपों की 13 प्रजातियां हैं। इनमें से चार बेहद जहरीले सांप कोबरा, रस्सेल वाइपर, स्केल्ड वाइपर और करैत हैं। सबसे ज्यादा मौतें नाग या गेहूंवन और करैत के काटने से होती हैं।

तीन तरह का होता है सांपों का जहर

सांपों का जहर तीन तरह का होता है, पहली किस्म है हीमोटॉक्सिक जो रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है और शरीर में कई जगहों से खून ​निकलने लगता है, खून की उल्टियां भी लग जाती हैं। दूसरी किस्म है न्यूरोटॉक्सि‍क, ये शरीर के नर्वस सिस्टम पर हमला करता है। तीसरी किस्म है मायोटॉक्सि‍क, ये जहर समुद्र में पाए जाने वाले सांपों में होता है, इसलिए देश में ये काफी कम हैं। सांप के काटने वाली जगह पर ब्लड सर्कुलेशन बंद करने को पट्टी बांधना ठीक नहीं और मुंह से खींचकर जहर निकालने की सोचना तो और भी गलत है।

इन बातों का रखेंगे ख्याल तो जिंदगी बच जाएगी

snake 2सांप के काटने के बाद प्रभावित हिस्से में चीरे का निशान न लगाएं। ऐसा करने से सांप का जहर दोगुनी रफ़्तार से खून के जरिए शरीर में फैलता है दिमाग पर असर होने से जल्द मौत हो सकती है।

मरीज को चलने न दें और काटने वाली जगह को ज्यादा न हिलाएं, क्योंकि ऐसा करने से मांसपेशियों में रगड़ होगी और जहर फैलने की रफ़्तार तेज हो जाएगी।

जख्म वाली जगह पर या आसपास पट्टियां बिल्कुल भी नहीं बांधनी चाहएि। ऐसा करने से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और खून सप्लाई करने वाली नसों के फटने का डर ज्यादा बना रहता है।

सांप के काटने के बाद कभी मरीज को टेढ़ा न ​​लिटाएं। ऐसा करने से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित हो सकता है। मरीज मरीज़ को सीधे लिटाकर इलाज के लिए अस्पताल ले जाएं।

कोई दर्द निवारक दवा बिलकुल न दें। ऐसा करने से मरीज की वास्तविक स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है। उसका दर्द बढ़ भी सकता है।

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