बेटी हूं मैं, बेटी तेरी
मां मुझको है, तुझ से प्यार,
पूरा तुझ पर, मेरा भरोसा,
जालिम जमाने पर, न एतबार।
ये नई कहानी, नहीं है मेरी,
सदियों से ये, होता आया,
मां तूने चाहा है, मुझको
पर जालिम को और ही भाया।
रोक दिए, हैं कदम जो मेर
तोड़ दिए है, स्वपन जो मेरे
कर्म जबरन, है तुझसे करवाया,
कोख में, मुझको तेरे मरवाया।
यतन तेरे, न कुछ कर पाए,
कितने तूने अश्क बहाए,
मां यूं कब तक चलता रहेगा,
बेटी का कत्ल, कब थमेगा।
मुझे भी देखनी है, रंगीन दुनिया,
क्यों रोकती है ये, संगीन दूनिया,
मैं भी चाहूं तेरे, आंचल की छाया,
क्यों मुझको सिर्फ खोया न पाया।
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