Village Bhandali’s relation with Mahadev

गांव भंडाली का महादेव से नाता

भंडाली गांव का इतिहास है कि जब भंडाली गांव में कोई भी मंदिर नही था, कोई देवी-देवता का स्थान नहीं था, तब दो महादेव जिनको (महाद्योउ) बोलते थे, जहां जोगी और जोगन रहते थे। इनके नाम थे, ओंकारेश्वर महादेव और निरंकारेश्वर महादेव, एक महादेव चमेला में और एक मखेला में था। जहां वो गांव वालों के लिए पूजा पाठ करते थे। भगवान शिव शंकर की आराधना पूजा किया करते थे। जिनको संसार निराकार पारब्रह्म का साकार रूप मानता है।
समय के साथ-साथ लोगों के दिलों में भगवान के प्रति आशक्ति कम होने लगी और लोगों ने उन जोगी-जोगन को तंग करना शुरू कर दिया और एक दिन ये दोनौ महादेव अपना आधार खो बैठे। धीरे-धीरे लोगों ने अपने-अपने देवी-देवताओं को मानना शुरू कर दिया। किसी ने देवी के रूप में किसी ने देवता के रूप में अपने परिवार के साथ पूजा पाठ करते थे। यही प्रथा परिवार से धड़ों की तरफ बढ़ते-बढ़ते गांव में दो निरंकार के मन्दिर बन गये और देबी के कई मन्दिर बनने लगे। इसके बाद अपनी अपनी पूजा अपने अपने देवता के रंग में लोग रंगने लग गये। और इसी कारण लोगों में दूरियां हुई और गांव में एक दूसरे के प्रति मन मुटाव होने लगा। इसके बाद आप देख ही रहे हैं कि सारा गांव किस प्रकार बिखर गया है। मेरा कहना इतना ही है कि शिवजी का रूप ही निरंकार देवता है, जिसको हमारे पूर्वज मानते आ रहे हैं और उसी निरंकार की झोली में हमारे सारे देवी-देवता रहते हैं। यदि हम सारे मिलकर महादेव ( शिव) की अर्चना पूजा करते हैं तो सभी देवी-देवताओं की पूजा हो जाती है। इसलिए इस मखेला में बनने वाला शिव मंदिर का नाम है, निरंकारेश्वर महादेव मखेला जो अब भन्डाली के गांववासी इस मन्दिर का नवीनतम रूप में सेवा प्रदान कर रहे हैं। बाकी जो भी आप की कमेटी उचित राय देगी वो सभी को मंजूर होगा।
-मेहरबान सिंह रावत
महासचिव
एकता नगर सेवा समिति