Dr. biharilal jalandhari

लुधियाना: संस्थाओं की मांग, उत्तराखंड की प्रतिनिधि भाषा को संवैधानिक दर्जा मिले

लुधियाना। उतराखण्ड से जुड़ीं संस्थाओं की बैठक संपन्न हुई। जिसमें लुधियाना की पांच संस्थाओं के पदाधिकारियों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता गढ़वाल जनकल्याण समिति के पूर्व प्रधान मनबर सिंह रावत ने की। इस बैठक में गढ़वाल जनकल्याण समिति, उतराखण्ड कुमाऊं परिषद, गढ़वाल भ्रात्री मंडल, राष्ट्रीय उतराखण्ड सभा, उत्तरांचल एकता समिति, टिहरी गढ़वाल विकास मंडल के पदाधिकारी शामिल हुए।
बैठक का मुख्य आकर्षण अपणि बोलि अपणि भाषा और गढ़वाली कुमाऊंनी को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए सभी ने अपनी बात रखी। सभी ने उत्तराखंड की प्रतिनिधि भाषा के लिए काम करने और सभी बोलियों के विद्वानों की एक कमेटी बनाने के लिए सरकार से मांग की।
इस अवसर पर डॉ. बिहारीलाल जलन्धरी ने सभी संस्थाओं के पदाधिकारियों को कार्यक्रम में उपस्थित होने तथा खुलकर बात रखने के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि पसारे पास अपनी बोली भाषा लिखाने पढ़ाने के लिए पहले कोई पाठ्यक्रम नहीं था परंतु अब हमारे पास उतराखण्डी भाषा का एक प्रारूप पाठ्यक्रम है जिसके माध्यम से हम अपनी बोली भाषा अपने बच्चों को लिखा पढ़ा सकते हैं।
बैठक में जिन पदाधिकारियों ने अपने विचार रखे उनमें भारत सिंह नेगी, चंद्र सिंह रावत, मनबर सिंह रावत, मकान सिंह राणा, मनोज शास्त्री, कुंदन सिंह गुसाईं, राजेन्द्र सिंह राणा, कलम सिंह कैतूरा, विनोद भट्ट, प्रेम सिंह बिष्ट, दर्मियान सिंह मेहरा, सुभाष चन्द्र शर्मा, जनार्दन भट्ट, उत्तम सिंह बागड़ी, बलवंत सिंह, सोहन सिंह रावत शामिल रहे।