उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों से निकली सिंगोरी, जिसे सिंगौरी या सिंगोडी भी कहते हैं, एक अनोखी मिठाई है। यह खास तौर पर कुमाऊं क्षेत्र के अल्मोड़ा शहर से जुड़ी मानी जाती है। मालो के पत्तों में लपेटकर बनाई जाने वाली यह मिठाई खोया, नारियल और गुलाब की पंखुड़ियों से तैयार होती है। इसका स्वाद फूलों जैसा मीठा और बनावट हल्की-नरम होती है, जो इसे बंगाल के संदेश से मिलती-जुलती बनाती है। अगर आप घर पर कुछ पारंपरिक और सेहतमंद मिठाई बनाना चाहते हैं, तो सिंगोरी आपके लिए बेहतरीन विकल्प है।
हिमालय की गोद में बसे कुमाऊं के बाजारों में सिंगोरी को देखना आम है। यह शंकु के आकार में हरे मालो पत्तों में लिपटी होती है, जो दूर से किसी हरी मिठाई की तरह लगती है। यह न सिर्फ उत्तराखंड के घरों में बनती है, बल्कि वहां से बाहर रहने वाले लोग भी इसे अपनाते हैं—हालांकि मालो के पत्तों की कमी होने पर हल्दी के पत्ते इसका विकल्प बन जाते हैं। कहा जाता है कि इसकी शुरुआत अल्मोड़ा से हुई, लेकिन पत्तों में लपेटकर खाना बनाने की परंपरा भारत में बहुत पुरानी है, इसलिए इसकी सही उम्र बताना मुश्किल है।
सिंगोरी का सबसे बड़ा गुण यह है कि यह तली हुई मिठाइयों जैसे गुलाब जामुन से अलग, भाप में पकाई जाती है, जो इसे हल्का और पौष्टिक बनाती है। खोया और गन्ने की चीनी इसके आधार हैं, जबकि नारियल और गुलाब की पंखुड़ियां इसे खास स्वाद देती हैं। इसे बनाना आसान है, बस मालो पत्तों का मिलना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। अगर ये न मिलें, तो हल्दी के पत्तों से भी काम चलाया जा सकता है। आइए, इसे बनाने की आसान विधि जानते हैं।
सामग्री:
1 कप खोया (बिना चीनी वाला)
1 कप गन्ने की चीनी (पिसी हुई)
2 बड़े चम्मच नारियल (कद्दूकस किया हुआ)
1-2 चम्मच गुलाब की पंखुड़ियां (बारीक कटी)
8-10 मालो पत्ते (या हल्दी के पत्ते)
बनाने की विधि:
एक कड़ाही में खोया डालकर धीमी आंच पर गर्म करें।
इसमें पिसी चीनी मिलाएं और लगातार चलाते रहें ताकि यह अच्छे से घुल जाए।
मिश्रण को तब तक पकाएं जब तक खोया और चीनी एकसार न हो जाएं।
अब कद्दूकस किया नारियल डालें और 10-12 मिनट तक हिलाते हुए पकाएं, जब तक मिश्रण गाढ़ा न हो जाए।
आंच बंद करें और मिश्रण को ठंडा होने दें।
इस दौरान मालो पत्तों को शंकु के आकार में मोड़ें और टूथपिक या धागे से बांध लें।
ठंडे मिश्रण को छोटी-छोटी गोलियां बनाएं।
हर गोली को पत्ते के शंकु में रखें और हल्के से दबाकर भर दें।
ऊपर से गुलाब की पंखुड़ियां सजाएं।
तैयार सिंगोरी को पत्तों सहित परोसें और स्वाद लें।
यह मिठाई न सिर्फ स्वादिष्ट है, बल्कि बनाने में भी मजेदार है। इसे बनाकर आप उत्तराखंड की संस्कृति का एक टुकड़ा अपने घर ला सकते हैं।
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