उतराखण्ड की प्रतिनिधि भाषा पर पटियाला में हुई आम बैठक

पटियाला। दिनांक 7/4/23 को गढ़वाल सभा भवन में उतराखण्ड की बोलियों पर आधारित एक प्रतिनिधि भाषा पर पटियाला में उतराखण्ड समाज की सभी संस्थाओं के पदाधिकारियों की बैठक संपन्न हुई। बैठक का संयोजन उतराखण्डी भाषा प्रसार समिति के पंजाब प्रदेश संयोजक उत्तम सिंह बागड़ी की ओर से किया गया। इस बैठक में दिल्ली से समिति के अध्यक्ष व भाषाविद साहित्यकार डॉ. बिहारीलाल जलन्धरी, पंचकुला से सदस्य सचिव भारत सिंह नेगी तथा दिल्ली से सदस्य चंद्र सिंह रावत उपस्थित रहे।

पटियाला से उतराखण्ड समाज की जिन संस्थाओं के अध्यक्षों के साथ पदाधिकारी उपस्थित हुए उनमें गढ़वाल सभा के अध्यक्ष भगवती प्रसाद डंगवाल, कुमाऊं सभा से हीरानाथ गोस्वामी, पौड़ी गढ़वाल सभा के वीरेंद्र पाटवाल, उत्तरांचल समाज सुधार संस्था के मुलायम सिंह, हिलांस सांस्कृतिक कला मंच के हरि सिंह भंडारी, उतराखण्ड सभा के भगत सिंह भंडारी, उत्तरांचली भ्रात्री समिति से रविन्द्र रावत, उत्तरांचली कल्चर एवं वेलफेयर सोसायटी, जन जागरण समिति से सरोज बिष्ट, देवभूमि युवा शक्ति वेलफेयर क्लब से आरएस रावत, गढ़माऊँ एकता सेवा समिति से विजय सकलानी, उतराखण्ड एकजुट एकमुठ के दलवीर पंवार के साथ सभी संस्थाओं के पदाधिकारी उपस्थित रहे। इस बैठक में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में शशी पालिवाल, यश पंवार, सरोज बिष्ट, कमला गोस्वामी और बसंती देवी उपस्थित रहीं।
बैठक में डाॅ. जलन्धरी ने सभी को अपनी मां माटी मातृभूमि और मातृभाषा की याद दिलाई। उन्होंने सबको अपनी जड़ों की तरफ लौटने को कहा। उन्होंने कहा कि राज्य बनने के बाद सरकार को उतराखण्ड की बोली-भाषाओं के समान शब्दों को मिलाकर एक प्रतिनिधि भाषा के लिए काम आरंभ करना था। जिसमें एक विषय कक्षा एक से दसवीं तक पढ़ाया जाता, जिससे हमारे बच्चों को रोजगार में आरक्षण मिलता। परंतु ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने प्रत्येक उतराखण्डी को भाषा के इस पहले पाठ्यक्रम ‘मौळ्यार’ को पढ़ाना चाहिए।
उत्तराखंड सरकार द्वारा आज दिन तक भाषा अकादमी का या भाषा परिषद का गठन नहीं किया गया। उतराखण्ड सरकार से उसकी मांग के लिए सभी संस्थाओं की ओर से समर्थन पत्र दिए गए। जिन्हें उतराखण्ड के मुख्यमंत्री को मांगपत्र के साथ दिया जाएगा। बैठक में उपस्थित सभी संस्थाओं के मुखिया ने अपने विचार रखे।

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