पटियाला| तर्कशील सभागार में उत्तराखंड हिलांस सांस्कृतिक कला मंच की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव के तहत सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। नन्हे-मुन्ने बच्चे देशभक्ति और संस्कृति के रंग में रंगे नजर आए। कार्यक्रम में प्रस्तुति देने वाले बच्चों को मुख्य अतिथि उत्तराखंड के भाषाविद डॉ. बिहारीलाल जालंधरी, विशिष्ट अतिथि पूर्व पार्षद श्री ठारू राम, अतिथि श्री जसवीर सिंह व हरीचंद बंसल ने स्मृति चिन्ह देकर प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम का उद्घाटन समाजसेवी श्री प्रवीन लंगवाल ने रिबन काटकर तथा डॉ. बिहारीलाल जालंधरी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्हे उत्तराखंड हिलांस सांस्कृतिक कला मंच की ओर से विशेष तौर पर सम्मानित किया गया। डॉ. जालंधरी ने उपस्थितजनों को संबोधित करते कहा कि हमें अपने पैतृक गांव से जुड़कर रहना चाहिए। नहीं तो 2026 में होने वाले भू पैमाइश के अनुसार जिसका मकान और जमीन बंजर हो चुके होंगे, उन्हें सरकार अपने कब्जे में कर लेगी। तब प्रवास में स्थाई रूप से रहने वाले उतराखण्डी अपनी पैतृक जमीन से बेदखल हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सभी को अपने घर दोस्तों रिश्तेदारों के साथ अपनी बोली भाषा में बात करनी चाहिए। छोटे-छोटे बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम के बीच बीच में सभी समितियों के अध्यक्षों ने अपनी बात रखी।
कार्यक्रम में पटियाला में उत्तराखंड समाज की सभी संस्थाओं के पदाधिकारियों को आमंत्रित किया गया। जिसमें पौड़ी गढ़वाल सभा के प्रधान श्री बीरेन्द्र पटवाल, उत्तरांचल सभा के अध्यक्ष
श्री जोत सिंह भंडारी, राष्ट्रीय उत्तराखंड सभा पटियाला के अध्यक्ष श्री अशोक नेगी, जन कल्याण समिति की अध्यक्षा श्रीमती सरोज बिष्ट, यू.के. फ्रेंड्स क्लब के अध्यक्ष श्री प्रदीप कठैत, एकता नगर सेवा समिति के अध्यक्ष श्री विजय सकलानी, परमार्थ कार्य सेवा समिति के अध्यक्ष पूरण सिंह जीना, खालसा नगर कीर्तन मंडली की अध्यक्षा श्रीमती भाना देवी के साथ सभी समितियों के सदस्य उपस्थित रहे।
मंच संचालन माधौ सिंह बिष्ट व कार्यक्रम का निर्देशन श्रीमती बिनीता चौहान ने किया। उत्तराखंड हिलांस सांस्कृतिक कला मंच के पदाधिकारियों में संयोजक माधो सिंह बिष्ट, चेयरमैन धीरज सिंह रावत, प्रधान हरी सिंह भंडारी, महासचिव बीर सिंह सेनवाल व दिनेश चौहान, जगदीश प्रसाद, गिरीश चंद्र, गरीब सिंह, विरेन्द्र सिंह, नन्दी शाही, कविता मेहरा, पूजा रावत, शीतल तड़ियाल, ममता देवी एवं बच्चों के अविभावक उपस्थित हुए।
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