काफल का इतिहास और औषधीय गुण: पहाड़ों का जंगली फल


पटियाला| उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में एक खास जंगली फल पाया जाता है जिसे काफल कहते हैं। यह गर्मियों के मौसम में पकता है और अपने स्वाद व औषधीय गुणों के कारण बहुत प्रसिद्ध है। काफल का जिक्र भारतीय लोक गीतों में भी मिलता है, जैसे कि “बेड़ू पाको बारामासा, हो नरैण काफल पाको चैता मेरी छैला”। यह गीत उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय लोक गीतों में से एक है, जिसमें काफल के स्वाद का आनंद लिया गया है।

काफल का रंग गहरा लाल होता है और इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है। यह फल मार्च में फूलों के रूप में खिलता है और मई से जून तक इसका फल तैयार हो जाता है। इसे खाने के लिए तोड़ा जाता है और अक्सर स्थानीय लोग इसे पिसे हुए नमक के साथ खाते हैं। काफल न केवल अपने स्वाद के लिए लोकप्रिय है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी इसे खास बनाते हैं।

काफल की औषधीय विशेषताएं
काफल को पहाड़ों में लोग अपनी सेहत के लिए भी खाते हैं। यह पेट की कई बीमारियों के इलाज के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा, यह डायबिटीज और उच्च रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) के रोगियों के लिए भी लाभकारी है। काफल में कैल्शियम, जिंक, फास्फोरस, विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर के लिए अत्यधिक फायदेमंद हैं। इसके पोषक तत्वों की भरमार इसे बहुत अधिक मांग वाला फल बनाती है।

काफल का वैज्ञानिक नाम और वितरण
काफल का वैज्ञानिक नाम Myrica esculenta है, और यह मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। हजारों सालों से यह उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के जंगलों में उग रहा है। इसके अलावा, नेपाल और उत्तर-पूर्वी भारत के पहाड़ी इलाकों में भी काफल के पेड़ मिलते हैं। उत्तराखंड में यह फल न केवल स्थानीय जीवन का हिस्सा है, बल्कि यहां की सांस्कृतिक धरोहर में भी गहरी पैठ रखता है।

काफल का महत्व और अर्थ
उत्तराखंड में काफल को राज्य फल का दर्जा प्राप्त है। यह न केवल पहाड़ों में रहने वालों की खाद्य सामग्री है, बल्कि कई लोगों के लिए यह आय का एक स्रोत भी बन चुका है। बाजारों में इसकी कीमत 400 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी है, जिससे यह गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए आर्थिक मदद का एक साधन बन गया है।

काफल के फल को ताजगी में ही सबसे ज्यादा सराहा जाता है, क्योंकि यह जल्दी खराब हो जाता है। एक बार इसका रस निकल जाने के बाद, इसका स्वाद फीका पड़ जाता है। इसलिए यह फल केवल उन्हीं स्थानों पर उपलब्ध है, जहां इसे ताजगी के साथ खाया जा सकता है।

कुल मिलाकर, काफल न केवल अपने स्वाद के लिए मशहूर है, बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभ भी इसे पहाड़ों के लोगों की जीवनशैली का एक अहम हिस्सा बनाते हैं।

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