पटियाला । उत्तराखंडी संस्कृति और समाज के प्रबल समर्थक श्री ज्ञानदेव घनसाली जी के निधन से पूरे प्रवासी उत्तराखंडी समाज में शोक की लहर दौड़ गई है। वे हिलाँस सांस्कृतिक कला मंच (रजि.) पटियाला के केवल अध्यक्ष ही नहीं, बल्कि मंच के प्रेरणास्रोत और मार्गदर्शक भी थे। उन्होंने इस संस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
श्री ज्ञानदेव घनसाली जी का जीवन समाज सेवा, उत्तराखंडी संस्कृति के संरक्षण और राजनीतिक सक्रियता का अनूठा उदाहरण था। उन्होंने प्रवासी उत्तराखंडियों को एकजुट करने और अपनी संस्कृति के प्रचार-प्रसार में जो योगदान दिया, वह अविस्मरणीय है। उनके अथक प्रयासों के कारण हिलाँस मंच ने न केवल उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को पंजाब में जीवंत बनाए रखा, बल्कि नई पीढ़ी को भी अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य किया। उनके नेतृत्व में मंच ने कई लोकगीतों, नाटकों और पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया, जिससे उत्तराखंडी संस्कृति को नई पहचान मिली।
सिर्फ सांस्कृतिक क्षेत्र ही नहीं, बल्कि राजनीतिक क्षेत्र में भी उनकी सक्रियता सराहनीय रही। पटियाला के लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक नेता उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते थे और उनके सामाजिक कार्यों का सम्मान करते थे। उन्होंने समाजहित के मुद्दों को निडरता से उठाया और सदैव जनसेवा के प्रति समर्पित रहे। उनका निधन एक युग का अंत है, लेकिन उनकी प्रेरणा और योगदान हमेशा समाज को आगे बढ़ाने के लिए मार्गदर्शक बने रहेंगे। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिजनों को इस दुख की घड़ी में संबल दे।
बिजेंद्र सिंह रावत “दगड़या” द्वारा उन्हें समर्पित कुछ यादें
आपका यूं चले जाना बहुत दर्द दे गया
मेरे प्रिय दोस्त , मेरे सामाजिक गुरु और आदर्श ज्ञान देव घनस्याली जी का यूं चले जाना , मेरे लिए एक वयक्तिगत हानि हैं। समाज सेवा में ऐसे निस्वार्थी इंसान अभी तक बहुत कम दिखे है। उनसे पहली मुलाकात सन 2002 में घनौली के एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में हुई। पहली मुलाकात ही अविस्मरणीय थी और मुझे लगा की इस इंसान के अंदर अपने समाज के प्रति निस्वार्थ प्रेम कूट कूट कर भरा हैं,और इनके साथ मिल कर समाज को एक नई दिशा दी जा सकती है। ज्ञान देव जी पंजाब राज्य बिजली बोर्ड पटियाला में कार्यरत थे। बिजली बोर्ड से सेवानिर्वत होने के बाद विगत 12 वर्षों से वो रामनगर रह रहे थे।पटियाला शहर में इनका नाम भी प्रमुख समाज सेवियों में आता था। हिलांस कला सांस्कृतिक कला मंच के मुख्य संस्थापक थे। इस मंच ने अभी अपनी सिल्वर जुबली बनाई। इनका सबसे बड़ा गुण था किसी भी कामयाब पहाड़ी आदमी को अपने समाज के साथ जोड़ना और उनकी सफलता से समाज को कुछ सिखाना। क्षेत्रवाद की भावना उनसे कोसो दूर थी।
मैने अपने 30 वर्षों के सामाजिक क्षेत्र में ऐसा इंसान नही देखा जो समाज की तरक्की के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दे। जब कभी उनके पास रात को रुकता तो रात को 10 बजे हमारी बातें शुरू होती तो सुबह 6 बजे तक चलती। वो नेता नही थे परंतु पटियाला शहर की राजनीति में अन्य समाज के लोग उन्हे जानते थे, वो साहित्यकार नही थे परंतु अधिकतर साहित्यकार उन्हे जानते थे, वो रंगमंच के कलाकार नही थे परंतु अधिकतर कलाकार और लोक गायक उन्हे जानते थे, वो सभाओं के प्रधान/महासचिव कम रहे परंतु पंजाब की अधिकतर सभाओं के प्रधान/ सचिव उन्हे जानते थे, वो उत्तराखंड में किसी पार्टी के सदस्य नहीं थे परंतु हर पार्टी के अधिकतर लोग उनको जानते थे, वो खुद लेखक नही थे परंतु हिलांस मंच के द्वारा प्रति वर्ष एक स्मारिका निकालते रहते थे। ऐसे बहुआयामी, बहुमुखी गुणों के इंसान थे। पटियाला के पहाड़ी भाई तो उन्हे सदैव याद करते रहेंगे। अगर सामाजिक क्षेत्र में पटियाला शहर का नाम देश के विभिन्न प्रांतों में आया है तो वो ज्ञान देव जी के कारण ही।
विगत कुछ महीनो से बीमार चल रहे थे और दिल्ली में इलाज भी चल रहा था। उनके बेटे से निरंतर संपर्क में था । उनका बेटा हमेशा बोलता था की वो आपको याद करते रहते है। 20 फरवरी 2025 को अस्पताल से डिस्चार्ज होकर जब वो काशीपुर को निकल रहे थे तब भी उनके बेटे ने कहा की पापा बोल रहे है की मिलने जरूर आना काशीपुर, और मैने वादा भी किया और कहा की जरूर आऊंगा । पर आज उनकी खबर सुन कर दिल बैठ गया। उनका बेटा आज भी बोल रहा था मेरे को और धीरज भाई को याद करते थे।
अब लगा की एक सामाजिक आदमी को समाज के आदमी का मिलना जुलना कितना जरूरी है।
मैं तो यही कहूंगा की दोस्त तुम जहां भी रहो खुश रहो और तुम्हारे बताए गए रास्तों पर अपने समाज को सदैव आगे ले जाने का प्रयास करेंगे। जब कभी भी निराशा होती थी तो आप मेरे लिए एक शक्ति पुंज बन कर आते थे। आप मेरे लिए सदैव प्रेरणादायक थे। आपके साथ बिताए कई अविस्मरणीय पल है , वही अब मेरे पास हैं। पंजाब के अतिरिक्त अन्य कई शहरों में आपके संग यात्राएं की जैसी भोपाल, इंदौर, कोटद्वार, हरिद्वार, जोधपुर, भिवानी, देहरादून, रुड़की, सहारनपुर , गुड़गांव, दिल्ली आदि शहरों में।
अगर लोग पटियाला में मुझे आज “दगड़या” के नाम से जानते है तो उसका पूरा श्रेय आपको है भ्राता श्री। आप मेरे और मेरे परिवार के दिलों में सदैव जीवित रहोगे।
नम आंखों से आपको श्रद्धांजलि। जब तक समाज में आना जाना रहेगा आपको अपना आदर्श मान कर ही चलता रहूंगा।
Tags: hillans news, news, समाचार