पटियाला। हिलाँस साँस्कृतिक कला मंच ने हरेला पर्व के तहत पौधरोपण अभियान चलाया। प्रधान हरि सिंह भंडारी और महासचिव जगदीश प्रसाद ने कार्यक्रम की बागडोर संभाली। मंच के अन्य पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने भी भरपूर सहयोग दिया। मंच के प्रवक्ता विश्वेश्वर प्रसाद शर्मा ने मंत्रोच्चारण से विधिवत पूजन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद मुख्य अतिथि ग्रीन मैन अवार्डी भगवान दास जुनेजा ने पहला पौधा रोपित कर मुहिम की शुरुआत की। उन्होंने हिलाँस साँस्कृतिक कला मंच की पूरी टीम को पौधरोपण अभियान चलाने के लिए सराहा और भविष्य में हर संभव सहयोग देने का भरोसा दिया। इसके बाद मंच के प्रधान हरि सिंह भंडारी ने कहा कि मंच ने पौधरोपण अभियान की विधिवत शुरुआत कर दी है और इस मुहिम को आगे भी जारी रखा जाएगा। मंच के महासचिव जगदीश प्रसाद ने कहा कि हम जिस समाज में रह रहे हैं उस समाज को हरा-भरा बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। इसलिए मंच समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए हरियाली को बढावा दे रहा है।
इस मौके पर मंच के संस्थापक सदस्य गोबिंद सिंह रावत, संरक्षक दिनेश सिंह चौहान, संयोजक बीर सिंह सेनवाल, कोषाध्यक्ष प्रदीप सिंग कठैत, ऑडिटर कैलाश भट्ट, निर्देशक विनीता चौहान, उपनिर्देशक निशा भट्ट, मीडिया प्रभारी प्रमोद रावत, सलाकार कविता मेहरा, शीतल तड़ियाल, नंदी शाही, संगठन मंत्री गरीब सिंह रावत के अलावा मंच के अन्य सदस्य मौजूद रहे।
लुधियाना में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने पीएम शहरी आवास योजना के तहत राज्य के 25,000 लाभार्थियों को भुगतान प्रमाण पत्र वितरित किए। डॉ. मनमोहन सिंह स्टेडियम पीएयू में राज्य स्तरीय कार्यक्रम के दौरान सीएम मान ने कहा कि पंजाब की जनता को कुल 101 करोड़ रुपए का ये फायदा मिलेगा। प्रति परिवार 1 लाख 75 हजार रुपए मिलेंगे।
चंडीगढ़।शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार की रात निधन हो गया। उन्होंने मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली। केंद्र सरकार ने बादल के निधन पर दो दिन (26 और 27 अप्रैल) के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और सरकारी मनोरंजन के कार्यक्रम नहीं होंगे। प्रकाश सिंह बादल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चंडीगढ़ पहुंचकर अंतिम श्रद्धांजलि दी। अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर पंजाब की सियासत पर इसका कितना असर पड़ेगा?
प्रकाश सिंह बादल ने पंजाब में सियासत को अपने ही रंग से रंग दिया था। अकाली दल की कमान संभालने के बाद पार्टी के भीतर किसी को सिर उठाने नहीं दिया। शिअद छोड़कर अगर किसी ने अलग अकाली दल बनाया तो वह सफल नहीं हो पाया। कई नेताओं ने पार्टी छोड़कर अकाली दल का गठन करना चाहा लेकिन सफल नहीं हो पाए। उनकी राजनीतिक सूझबूझ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने पंजाब में हिंदू-सिख भाईचारे की नई नींव रखी और तनाव भी खत्म कर दिया। बादल के चाहने वाले हर राजनीतिक दल में मिलेंगे। भाजपा से राजनीतिक गठबंधन टूटा लेकिन रिश्ते बरकरार रहे। अब अकाली दल में इसकी कमी खलेगी।
प्रकाश सिंह बादल के निधन से पंजाब की राजनीति का एक बड़ा अध्याय खत्म हो चुका है। 95 साल की उम्र तक सियासत में सक्रिय रहने के कारण उन्हें राजनीति का बाबा बोहड़ भी कहा जाता था। उन्होंने 20 साल की उम्र में 1947 में सरपंच का चुनाव जीतकर अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। इसके बाद वह पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने। सबसे कम उम्र में और सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री का रिकॉर्ड भी उन्हीें के नाम है।
उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजनों में से एक है आलू की थिच्वनी। इसे तरीदार बनाया जाता है और ज्यादातर चावल के साथ ही खाया जाता है। आओ जानते हैं कैसे बनती है यह सब्जी।
झंगोरे की खीर खाने में जितनी स्वाद होती है। उतनी ही ये सेहत के लिए लाभदायक है। इस बनाने में 6 से 10 मिनट का समय लगता है। उत्तराखंड में इसे बेहद पसंद किया जाता है।
कुरुण्ठी उड़द की दाल से बनाई जाती है। ये खाने में अति स्वादिष्ट होती है। दाल-चावल के साथ इसे ठुंगार (सलाद के तौर पर ) खाया जाता है। इसे बनाने में 15 मिनट लगते हैं।
कददू का रायता खाने में स्वादिष्ट तो होता ही है। लेकिन इसे बनाने में भी बहुत कम समय लगता है। इसे बनाना बहुत ही आसान है। इसे बनाने में 5 से 8 मिनट लगते हैं।
छछिंडु, छंच्या या पल्यो व्यंजन खाने में बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। कुछ जगहों पर इसे नमकीन बनाया जाता है जबकि कुछ जगहों पर इसे इसमें गुड़ या चीनी भी डालकर मीठा बनाया जाता है। इसे बनाने में 10 मिनट लगते हैं।