संस्कृति

गढवाल क्षेत्र का सबसे बड़ा पौराणिक ढाकरी पड़ाव – बांघाट

ढाकर मूलतः एक कबीलाई संस्कृति मानी गयी है जो हरियाणा व राजस्थान के सीमान्त क्षेत्रों में रहा करती थी। वर्तमान में इसका अस्तित्व वजूद में है या नहीं, यह बता पाना सम्भव नहीं है लेकिन हरियाणवी में ढाकर अपभ्रंश होकर ढाकड़ हो गया है। ढाकड शब्द का अर्थ अगर गढवाली शब्दकोष में ढूँढा जाय तो यहाँ पहुँचते-पहुँचते यह शब्द धाकड हो जाता है और आश्चर्य तो यह है कि सभी शब्दों का अर्थ मूलतः ताकतवर या बलवान ही होता है।

ढाकर का भावार्थ अगर उस काल परिस्थिति में ढूंढा जाय जब गढवाल कुमाऊं के पहाड़ी क्षेत्रों में सड़कें नहीं थी और सिर्फ दुर्गम पैदल पथ थे तो इसका शाब्दिक अर्थ ढो कर लाना हुआ। भावार्थ की बात करें तो सीधा सा मतलब हुआ किसी भारी बोझे को कंधे में या सिर में रखकर लाना।

ढाकर कब प्रारम्भ हुआ इसका सही-सही प्रांकलन करना बहुत मुश्किल है लेकिन पौड़ी गढवाल के विकासखंड कल्जीखाल पट्टी-असवालस्यूं के मुंडनेश्वर महादेव (खैरालिंग) की उत्पत्ति से जुड़ा एक ढाकरी गीत है :-
“ढाकर पैटी रे माडू थैरवाल।
अस्सी बरस कु बुढया रे माडू थैरवाल।
या फिर
“स्याळआ झमको ओडू नेडू ऐ जावा..
स्याळआ झमकों सात भाई थैर्वाळआ।’ ..।
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गांव भंडाली का महादेव से नाता

भंडाली गांव का इतिहास है कि जब भंडाली गांव में कोई भी मंदिर नही था, कोई देवी-देवता का स्थान नहीं था, तब दो महादेव जिनको (महाद्योउ) बोलते थे, जहां जोगी और जोगन रहते थे। इनके नाम थे, ओंकारेश्वर महादेव और निरंकारेश्वर महादेव, एक महादेव चमेला में और एक मखेला में था। जहां वो गांव वालों के लिए पूजा पाठ करते थे। भगवान शिव शंकर की आराधना पूजा किया करते थे। जिनको संसार निराकार पारब्रह्म का साकार रूप मानता है।
समय के साथ-साथ लोगों के दिलों में भगवान के प्रति आशक्ति कम होने लगी और लोगों ने उन जोगी-जोगन को तंग करना शुरू कर दिया और एक दिन ये दोनौ महादेव अपना आधार खो बैठे। धीरे-धीरे लोगों ने अपने-अपने देवी-देवताओं को मानना शुरू कर दिया। किसी ने देवी के रूप में किसी ने देवता के रूप में अपने परिवार के साथ पूजा पाठ करते थे। यही प्रथा परिवार से धड़ों की तरफ बढ़ते-बढ़ते गांव में दो निरंकार के मन्दिर बन गये और देबी के कई मन्दिर बनने लगे। इसके बाद अपनी अपनी पूजा अपने अपने देवता के रंग में लोग रंगने लग गये। और इसी कारण लोगों में दूरियां हुई और गांव में एक दूसरे के प्रति मन मुटाव होने लगा। इसके बाद आप देख ही रहे हैं कि सारा गांव किस प्रकार बिखर गया है। मेरा कहना इतना ही है कि शिवजी का रूप ही निरंकार देवता है, जिसको हमारे पूर्वज मानते आ रहे हैं और उसी निरंकार की झोली में हमारे सारे देवी-देवता रहते हैं। यदि हम सारे मिलकर महादेव ( शिव) की अर्चना पूजा करते हैं तो सभी देवी-देवताओं की पूजा हो जाती है। इसलिए इस मखेला में बनने वाला शिव मंदिर का नाम है, निरंकारेश्वर महादेव मखेला जो अब भन्डाली के गांववासी इस मन्दिर का नवीनतम रूप में सेवा प्रदान कर रहे हैं। बाकी जो भी आप की कमेटी उचित राय देगी वो सभी को मंजूर होगा।
-मेहरबान सिंह रावत
महासचिव
एकता नगर सेवा समिति

परंपरा और प्रकृति का प्रतीक “फूलदेई” त्यौहार आज (14 मार्च) से शुरू

देवभूमि उत्तराखंड की परंपरा और प्रकृति को संजोए उत्तराखंड का का पारंपरिक त्यौहार 14 मार्च यानि कि आज से शुरू हो चुका है और यह 8 दिनों तक चलेगा। यह त्यौहार उत्तराखंड समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अहम हिस्सा है। फूलदेई उत्तराखंडी परम्परा और प्रकृति से जुड़ा सामाजिक, सांस्कृतिक और लोक-पारंपरिक त्यौहार है, जो चैत्र संक्रांति -चैत्र माह के पहले दिन से शुरू होकर अष्टमी (आठ दिन) तक चलता है। इसे गढ्वाल मे घोघा कहा जाता है। पहाड के लोगों का जीवन प्रकृति पर बहुत निर्भर होता है, इसलिये इनके त्यौहार किसी न किसी रुप में प्रकृति से जुड़े होते हैं। प्रकृति ने जो उपहार उन्हें दिया है, उसे वरदान के रूप मे स्वीकर करते है और उसके प्रति आभार वे अपने लोक त्यौहारों के माध्यम से प्रकट करते है। यह त्यौहार बसंत ऋतु के स्वागत का प्रतीक है, चारो और रंग बिरंगे फूल खिल जाते हैं, उत्तराखंड के पहाड़ बसंत के आगमन पर बुरांस और गांव आडू, खुबानी के गुलाबी-सफेद रंगो से सराबोर हो जाते हैं।
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हिलांस सांस्हकृतिक कला मंच, पटियाला के चुनाव सम्पन्न: हरी सिंह भंडारी चेयरमैन और दिनेश चौहान बने प्रधान

एकता नगर में उत्तराखंड हिलांस सांस्कृतिक कला मंच, पटियाला की मीटिंग प्रधान हरीसिंह भंडारी की अध्यक्षता में हुई। इस दौरान मंच के स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर अप्रैल 2020 में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करने का प्रस्ताव सर्वसहमति से पारित किया गया। इसके बाद मंच के चुनाव भी संपन्न हुए। इस बार कार्यकारिणी में महिलाओं को विशेष स्थान दिया गया है। चुनाव के तहत हरी सिंह भंडारी को चेयरमैन, दिनेश सिंह चौहान को प्रधान, गिरीश चंद्र को उपप्रधान, माधोसिंह बिष्ट को महासचिव, वीरसिंह सेनवाल को सचिव, गोबिन्द सिंह रावत को कोषाध्यक्ष, देवेन्द्र सिंह राणा को उपकोषाध्यक्ष, आरती बिष्ट को निर्देशक, विनीता चौहान को उपनिर्देशक, विनोद रावत को संगीत निर्देशक, लीलाधर पांडे और राहुल रावत को प्रचार सचिव, गरीब सिंह रावत को लोकसंपर्क सचिव, प्रमोद रावत को मीडिया प्रभारी, प्रदीप कठैत को निरीक्षक और धीरज सिंह रावत को सलाहकार चुना गया। इसके अलावा कार्यकारिणी सदस्यों में तुलसी मनराल, ममता देवी, लक्षमी रावत, बच्चन सिंह रावत को शामिल किया गया।
-आर प्रमोद, पटियाला।

रविवार 8 दिसंबर को हिलांस मंच ने खरड़ में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम किया पेश

उत्तराखंड हिलांस सांस्कृतिक कला मंच, पटियाला की टीम ने खरड़ में आयोजित कार्यक्रम गढ़ोत्सव में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया। यह कार्यक्रम गढ़वाल सभा, खरड़ की ओर से रविवार 8 दिसंबर 2019 को आयोजित करवाया गया। इस मौके पर मंच के निर्देशक धीरज सिंह रावत, महासचिव माधव सिंह बिष्ट, कोषाध्यक्ष गोबिंद सिंह रावत, उपनिर्देशक दिनेश चौहान, कोरियोग्राफर आरती बिष्ट, गायक विनीता चौहान, तबला वादक विनोद रावत और टीम के कलाकार मौजूद रहे। गौरतलब है कि कार्यक्रम को खरड़ के लोगों ने काफी सराहा। गढ़वाल सभा खरड़ की ओर से पूरी टीम को सम्मानित भी किया गया।

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श्रीमद्भागवत कथा का षष्टम दिन: परम पूज्य सुभाष शास्त्री जी ने प्रणव मंत्र का महत्व बताया

उत्तरांचल समाज सुधार संस्था पटियाला की ओर से खालसा नगर/गगन विहार भादसों रोड पटियाला में श्रीमद्भागवत कथा के षष्टम दिवस में परम पूज्य सुभाष शास्त्री जी ने सुबह के सत्र में प्रणव मंत्र का महत्व समझाया। Read More

सच्चे भाव से प्रभु शरण में आने वाले भक्त हो जाता है सुखी: स्वामी निंदनी गिरी

-अर्बन एस्टेट में श्रीमद्भागवत कथा का किया आयोजन
अर्बन एस्टेट फेस-2 के श्री राधेश्याम मंदिर में श्रीमद्भगवत कथा का आयोजन किया गया है। 2 नवंबर को कलाश यात्रा के बाद कथा का शुभारंभ किया गया। पीठासन पर कथा वाचक स्वामी नंदिनी गिरी, श्री धाम वृंदावन, मथुरा विराजित रहीं। कार्यक्रम का आयोजन बृज की रज प्रियावृंदावन संकीर्तन मंडली, पटियाला की ओर से करवाया गया। स्वामी नंदिनि गिरी ने भक्तों को संबोधित करते कहा कि Read More

उत्तरांचल समाज सुधार संस्था ने मनाया स्थापना दिवस

उत्तरांचल समाज सुधार संस्था (रजि.) पंजाब-चंडीगढ़ ने 09 नवंबर 2019 को उत्तराखंड स्थापना दिवस मनाया। इस दौरान बड़ी संख्या में भाइचारा मौजूद रहा।
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उत्तराखंड स्थापना दिवस मनाया: उत्तराखंड एकता मंच पटियाला ने दी सभी को बधाई

गढमाउं एकता एवं सेवा समिति पटियाला द्वारा संचालित उत्तराखंड एकता मंच पटियाला, पंजाब ने उत्तराखंड राज्य के स्थापना दिवस पर सभी को बधाई दी।
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उत्तराखंड स्थापना दिवस: आओ अब देश की एकजुटता के लिए कार्य करने का लें संकल्प: पौड़ी गढ़वाल सभा

09 नवंबर को उत्तराखंड स्थापना दिवस मनाया गया। देश भर में बसे उत्तराखंड के लोगों ने विभिन्न तरीकों से उत्तराखंड स्थापना दिवस मनाया गया। इसी के तहत पौड़ी गढ़वाल सभा पटियाला, पंजाब ने प्रधान बीरेंद्र पटवाल की अध्यक्षता में एक संकल्प समारोह आयोजित किया। इससे पहले सभी ने अर्बन एस्टेट फेस 2 के श्री राधेश्याम मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवद कथा में कथा वाचक स्वामी नंदिनी गिरी के श्रीमुख से कथा सुनी। पौड़ी गढ़वाल सभा की रामायण मंडली की ओर से स्वामी नंदिनी गिरी एवं उनके साथ आई टीम को शाल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
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