सांप के काटने का डर हर किसी को होता है, लेकिन इस डर को खुद पर हावी न होने दें। खासकर उस समय जब सांप सच में काट ले। क्योंकि कई मौतें सांप के जहर से नहीं बल्कि उसके डर से होती हैं। अगर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की ओर जारी रिपोर्ट की मानें तो हर साल 83 हजार लोग सांप के काटने का शिकार होते हैं, इनमें से 11 हजार लोगों की मौत के मुंह में चले जाते हैं।
लगभग 3000 प्रजातियों में 300 सांप ही जहरीले
दुनिया में लगभग 2600 से 3000 सापों की प्रजातियां होती हैं, इनमें लगभग 300 सांप ही जहरीले होते हैं। ज्यादातर जहरीले सांप मानव शरीर में बहुत कम जहर छोड़ते हैं। भारत में जहरीले सांपों की 13 प्रजातियां हैं। इनमें से चार बेहद जहरीले सांप कोबरा, रस्सेल वाइपर, स्केल्ड वाइपर और करैत हैं। सबसे ज्यादा मौतें नाग या गेहूंवन और करैत के काटने से होती हैं।
Read More
बचपन मे कंडली की मार तो सभी ने खाई होगी लेकिन पूर्व में इसका वैज्ञानिक एवं औद्योगिक महत्व किसी को मालूम नहीं था। आज यही कंडाली विश्व भर में eco-fabrics नाम से प्रसिद्ध है और Italian fashion show में धूम मचा रही है। उत्तराखण्ड के गढ़वाल में कंडली और कुंमाउनी मे सिंसोण के नाम से जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Urtica deoica है और ये Urticacae परिवार का पौधा है। उत्तराखण्ड में कडंली की खेती तो नहीं की जाती अपितु यह प्राकृतिक रूप से बंजर भूमी पर रास्ते और सड़कों के किनारे स्वतः ही उग जाती है। जबकि विश्व के अन्य देशों में कंडाली के वैज्ञानिक व औद्योगिक महत्व को जानकर आज ही नहीं वर्षो से कंडली को औधोगिक रूप से उगाया जाता रहा है। आज विश्व भर में कंडली की पत्तियों की चाय, कैप्सूल तथा कंडली से निर्मित eco-fabrics नाम से धूम मचा रही है।
Read More
उत्तराखंड में पाया जाने वाले अमेस फल काफी गुणकारी होता है। इसके काफी औषधीय गुण होते हैं। इसे पहले केवल वनस्पति ही समझा जाता था। लेकिन जड़ी बूटी शोध संस्थान गोपेश्वर के वैज्ञानिकों ने इसका औषधीय गुण पहचाना। विटामिन की भरपूर मात्रा होने की वजह से कुछ देश अमेस फल का स्पोर्ट्स ड्रिंक बनाने को मजबूर हो गए हैं और काफी पसंद भी किया जाने लगा है। उत्तराखंड में अमेस फल की दो प्रजातियां मिलती हैं। समुद्र तल से करीब ढाई हजार मीटर की ऊंचाई पर चमोली, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी जिले में इस फल की बहुतायत है।