लेख

तो क्या भारत में बसंत नहीं होगा ?

basant rituक्या जलवायू परिवर्तन का मसला इतना सहज है कि कार्बन उत्सर्जन कम करने मात्र से काम चल जाएगा या पृथ्वी पर जीवन बचाने के लिए करना कुछ और भी होगा? इसके लिए हम दूसरे देसों के नजरिए और दायित्वपूर्ति की प्रतीक्षा करें या फिर हमें जो कुछ करना है, हम वह करें जलवायू परिवर्तन के कारण और दुष्टष्प्रभावों के निवारण में हमारी व्यक्तिगत, सामुदायिक, सासकीय अथवा प्रसासकीय भमिका क्या हो सकती है? सबसे महत्पवूर्ण यह है कि जलवायु परिवर्तन, क्या सिर्फ, पर्यावरण व भूगोल विज्ञान का विषय है या फिर कृषि वैज्ञानिकों, जीवन वैज्ञानिकों, अर्थश्शास्त्रियों, समाजसास्त्रियों, चिकित्सा श्सास्त्रियों, नेताओं और रोजगार की दौड़ में लगे नौजवानों को भी इससे चिंतित होना चाहिए? इन प्रशनों के उत्तर में ही जलवायु परिवर्तन के प्रति भारत का पक्ष और पथ का चित्र निहित है।

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