बोला भै-बन्धू तुमथैं कनु, उत्तराखण्ड चयेणू च् -2
हे उत्तराखण्ड्यूँ तुमथैं कनु, उत्तराखण्ड चयेणू च्
बोला भै-बन्धू तुमथैं कनु, उत्तराखण्ड चयेणू च् ….
जात न पांत हो, राग न रीस हो
छोटू न बड़ू क्वे, भूखु न तीसु हो-2
मनख्यूंमा हो मनख्यात यनु, उत्तराखण्ड चयेणू च् -2 …
बोला बेटि-ब्वारयूँ तुमथैं कनु, उत्तराखण्ड चयेणू च्
बोला माँ-बैण्यूं तुमथैं कनु, उत्तराखण्ड चयेणू च्
घास-लखड़ा हों, बूण अपड़ा हों
परदेस क्वी ना जौ, सब्बि दगड़ा हों-2
जिकुड़ी ना हो उदास यनु, उत्तराखण्ड चयेणू च् -2 …
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माछी पानी सी ज्यु तेरु मेरु ज्यु हो,
बिना तेरा नि जियेंदु, नि रयेंदु त्वे बिना,
माछी पानी सी ज्यू तेरु मेरु हो,
माछी पानी सी…
दियू बाती सी ज्यू तेरु मेरु हो,
बिना तेरा नि जियेंदु , नि रयेंदु त्वे बिना,
दियू बाती सी ज्यू तेरु मेरु हो,
दियू बाती सी…
दिन डूबी धारु पोर, दिन हो-हो-हो
दिन डूबी धारु पोर, ख़ुद खेवायीं ऐ घोर,
फिर आंख्यू बस्ग्याल, फिर उमली उमाल,
फिर उमली उमाल सुवा हो…
बिना तेरा नि थम्येदु , नि थम्येदु त्वै बिना
माछी पानी सी जियु तेरु मेरु हो,
माछी पानी सी…
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कू भग्यान होलू डांड्यू मां, यनि भली बांसुरी बजाणु
बजाणु रे…कू भग्यान होलू डांड्यू मां…कू भग्यान…
होलू क्वी बिचारू मैं जनू, नखर्याली बांद रिझाणु
रिझाणु रे…होलू क्वी बिचारू में जनू…होलू क्वी
फूल हमथें देख-देखि, पोतलो सन कांडा छीन
पोतलो सन कांडा छीन
भौंरा देखा दिजा कैंमा, छुई हमरि लगाना छीन
को बेशर्म होलू तो सणी तेरि-मेरि माया बिगाणू
बिगाणू रे…
होलू क्वी बिचारू में जनू…होलू क्वी
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पैली यनि त कबी नि ह्ववे कबी नि ह्ववे
अब ह्ववे त क्यांल ह्ववे क्यांल ह्ववे..
मन अपड़ा बस म नि राई, क्वी उपरी मन बसी ग्याई.. हो….ओ..
तन म क्यफ़णि सी क्यफ़णि झणि क्या जि हूंद
मन म कुतगली सी कुतगली सि झणि कु लगांद
कुछ ह्ववे गे मी थे, कुछ ह्ववे गे मी थे
ह्वाई क्याच…ह्वाई क्याच समझ म नि आई….
मन अपड़ा बस म नि राई.. ….हो. हो हो..
मन अपड़ा बस म नि राई
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म्यारा डांड्यूं कांठ्यूं का मुलुक जैल्यु, बसंत रितु म जैई-2
हैरु बण मां बुरांसि का फूल, जब बण आग लगाणा होला..
पीता पखों थैं फ्योंलिं का फूल, पिंगला रंग मां रंग्याणा होला ..
लइयां पैयां ग्वीराल फूलु ना-2, होलि धरती देखि ऐई…
बसन्त रितु म जैई…
मेरा डांड्यूं….
रन्गील फागुन होल्येरोन कि टोलि, डांडि कांठियों रंग्यणि होलि…
कैक रंग म रंग्युं होलु क्वियि, क्वि मनि-मन म रंग्श्याणि होलि..
किर्मिचि केसरि रंग कि बाढ-2, प्रेम का रंगों मा भिजी ऐई…
बसन्त रितु म जैई….
मेरा डांड्यूं….
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