संस्कृति एवं खबरों के संवाहक हिलाँस की डिजिटल उड़ान…
नमस्कार, सबसे पहले हम आपको ये बताना चाहते हैं कि आखिर हिलाँस है क्या? हिलाँस उत्तराखंड की डांड्यूं (ऊंचे पर्वतों के घने जंगलों) में रहने वाला एक दुर्लभ पक्षी है। डांड्यूं में इस पक्षी की मधुर आवाज मंत्रमुग्ध कर देती है। उत्तराखंड की संस्कृति में हिलॉंस का अहम स्थान है। कई उत्तराखंडी गीतों में भी इसका जिक्र आता है। इसी लिए हमने अपनी वेबसाइट के लिए हिलॉंस का ही नाम चुना। इस नाम से अनायास ही उत्तराखंड की यादें जहन में हिलोरे लेने लगती हैं। उत्तराखंड याद आ जाता है। तो आप तक उत्तराखंड की मिट्टी की खुशबू पहुंचाने के लिए www.hillans.com वेबसाइट को अस्तित्व में लाया गया है। उम्मीद है हमारा ये प्रयास आपको पसंद आएगा। www.hillans.com वेबसाइट का शुभारंभ 29 मई 2016 को पटियाला जिले के बहादुरगढ़ कस्बे में उत्तराखंड क्रांति दल प्रवासी प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष श्री ज्ञादेव घनसाली जी और कर्नल बिशन दास जी के कर कमलों से हुआ। इस दौरान पटियाला की सभी उत्तराखंडी सभाओं के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। वेबसाइट का लक्ष्य उत्तराखंडी संस्कृति से जुड़ी जानकारी आप तक पहुंचाना है। उम्मीद है जिस मकसद से वेबसाइट का निर्माण किया गया है, उसमें हम सफल हों।उत्तराखंड हिलाँस सांस्कृतिक कला मंच (रजि.) पटियाला (पंजाब) ने किया प्रेरित…
यहां उत्तराखंड हिलॉंस सांस्कृतिक कला मंच (रजि.) पटियाला का जिक्र करना इसलिए आवश्यक है। क्योंकि पिछले 16 साल से मंच के साथ जुड़े रहने की वजह से ही हमें वेबवाइट बनाने का मार्गदर्शन मिला। मंच का अभिन्न अंग होने के नाते इसके इतिहास की जानकारी देना अनिवार्य है। उत्तराखंड हिलॉंस सांस्कृतिक कला मंच (रजि.) पटियाला के गठन की कहानी बड़ी दिलचस्प है। ये संस्कृति प्रेमियों के लिए निश्चित ही प्रेरणा स्रोत है। प्रवास में रह रहे हर उत्तराखण्डी को देवभूमि की प्रेम धारा में बहना ही चाहिए। तभी वह संस्कृति के विशाल सागर में गोते लगाकर संस्कृति के मोती चुगेगा। इसी तरह देवभूमि उत्तराखण्ड के संस्कृति प्रेम से ओतप्रोत पांच लोगों ने एक सपना देखा। संस्कृति प्रचार-प्रसार के लिए हर हद से गुजरना है। अब सोच तो अच्छी थी लेकिन इसे साकार किस तरह किया जाए, इसके लिए पांचों लोगों ने मीटिंगों का सिलसिला शुरू कर दिया। गोष्ठियों चलती रहीं। सबसे बड़ी चुनौती थी कि कैसे सांस्कृतिक संस्था बनाकर सही दिशा में आगे बढ़ा जाए। संस्था के साथ कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा जाए। बाधाएं तो बहुत थी लेकिन जब दृढ़ इरादे हों तो भला कौन सी ताकत रोक सकती है। जब इरादे नेक हों तो दैवी शक्तियां खुद घट में बैठकर कार्य सरल कर देती हैं और रास्ते अपने आप बनते जाते हैं। आखिर एक दिन ऐसा आया, जब उक्त पांच सदस्यों ने मिलकर हिलाँस सांस्कृतिक कला मंच पटियाला की नींव रख दी। बाद में इसके नाम के आगे उत्तराखण्ड भी जोड़ा गया। इन पांचों सदस्यों ने मंच के संस्थापक सदस्य होने का गौरव प्राप्त किया। उन महान बिभूतियों में श्री धीरज सिंह रावत, श्री रणवीर सिंह रावत, श्री गोबिंद सिंह रावत, श्री गंगा सिंह नेगी एवं श्री रघुवीर सिंह बिष्ट शामिल हैं।
पटियाला में रह रहे उत्तराखण्डी खुलकर अपनी बोली-भाषा का प्रचार-प्रसार करने में हिचकिचाते थे। कभी-कभार पटियाला में सभा, सोसाइटियों से जुड़े लोग ही यहां पर उत्तराखण्डी सांस्कृतिक कार्यक्रम कराया करते थे। कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुति देने वाली टीम उत्तराखण्ड से ही बुलानी पड़ती थी। एक बार पौड़ी गढ़वाल सभा की ओर से अरोड़ा पैलेस में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान कलाकारों को देखकर श्री धीरज सिंह रावत के मन में ख्याल आया कि, क्यों न पटियाला में ही एक ऐसी की सांस्कृतिक टीम बनाई जाए, जो सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए उत्तराखण्डी संस्कृति का प्रचार-प्रसार करे और खुद भी उत्तराखण्ड की संस्कृति से रूबरू हो सके। इससे मनोरंजन भी हो जाएगा और संस्कृति का खुलकर प्रचार-प्रसार भी हो सकेगा। अब मन में दूसरा ख्याल आया कि सांस्कृतिक टीम तो तब काम करेगी जब उसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति के लिए मंच मिलेगा। बस, तभी सोच लिया कि इसके लिए एक सांस्कृतिक मंच का गठन तो करना ही पड़ेगा। फिर क्या था, शनिवार 8 अप्रैल 2000 को मंच का गठन कर दिया। यही वो शुभ दिन था जब मंच अस्तित्व में आ गया। हालांकि इससे पहले से भी मंच के गठन को लेकर काफी चर्चाएं हुईं। लेकिन संयोग 8 अप्रैल 2000 ही बना। ये वो पल था जब पांचों संस्थापक सदस्यों का सपना डेढ़ घंटे की मीटिंग के बाद साकार हो गया। चलो, मंच की स्थापना तो हो गई, अब इसको आगे कैसे ले जाया जाए इसके बारे में गंभीरता से सोचना जरुरी था। इस लिए इस प्रस्ताव को लेकर मंच के संस्थापक सदस्य श्री ज्ञानदेव घनसाली जी के पास गए और मंच के गठन की घनसाली जी को जानकारी दी। तो उन्होंने तुरंत 66केवी ग्रिड कॉलोनी के रेस्ट हाउस में बैठक बुला ली। इस बैठक में ज्ञानदेव घनसाली ने पटियाला में रह रहे उत्तराखण्ड के कुछ बुद्धिजीवियों और कर्मठ कार्यकर्ताओं को भी आमंत्रित किया। इस बैठक में उत्तारखण्ड हिलांस सांस्कृतिक कला मंच को हरी झंडी मिल गई और इसी दिन मंच की कार्यकारिणी गठित की गई।
मंच की पहली कार्यकारिणी में प्रधान श्री ज्ञानदेव घनसाली, उप प्रधान सुरेंद्र सिंह नेगी, महासचिव रणवीर सिंह रावत, कोषाध्यक्ष श्री हरि सिंह भंडारी, उपसचिव श्री हिकमत सिंह बमुंडी, निर्देशक श्री धीरज सिंह रावत, वरिष्ठ सलाहकार श्री चंद्रमोहन ढ़ौण्डियाल, वरिष्ठ सलाहकार डॉ. सत्य प्रसाद खंडूड़ी, सलाहकार श्री रघुवीर सिंह बिष्ट, सलाहकार श्री जगदीश प्रसाद, उप कोषाध्यक्ष श्री कुंवर सिंह रौंधियाल, प्रचार सचिव श्री गंगा सिंह नेगी, प्रचार सचिव श्री दिनेश सिंह चैहान, प्रेस सचिव श्री रमेश सिंह गुंसाई, लोक संपर्क सचिव स्व. श्री शिव सिंह रावत को चुना गया। इसके अलावा कार्यकारिणी सदस्यों में श्री गंगा सिंह बिष्ट, श्री विश्वेर प्रसाद सेमवाल, श्री परवीन लंगवाल, श्री रामनाथ सिंह, श्री दीवान चंद भट्ट, श्री बलराज सिंह पटवाल को शामिल किया गया। इसके अलावा उत्तराखण्ड हिलांस सांस्कृतिक कला मंच केे गठन के पहले दिन से ही मंच के साथ जुड़ी महिलाओं ने मंच को पूर्ण सहयोग दिया। इनमें श्रीमती लक्ष्मी देवी रावत, श्रीमती यशोदा देवी, श्रीमती सम्पति देवी बिष्ट, श्रीमती गायत्री देवी सेमवाल, श्रीमती सावित्री देवी रावत, स्व. श्रीमती रामेश्वरी देवी रावत ने मंच की प्रथम महिला सदस्य होने का गौरव पाया। इसी तरह मंच के वह कलाकार जिन्होंने मंच के गठन के बाद डीएमडब्ल्यू में पहले सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लिया। उन कलाकारों में जयंती नेगी, आरती बिष्ट, सरिता नेगी, अंजू रानी, पूजा बिष्ट, संगीता नेगी, सुषमा खंडूड़ी, डिप्सी भण्डारी, ललिता भण्डारी, ज्योति बिष्ट, शालू नेगी, पूजा रावत और प्रमोद रावत, राकेश खंडूड़ी, लक्ष्मण खंडूड़ी, विकास रावत, अरविन्द कुमार, सिमरजीत सिंह, गंगा सिंह नेगी, हिकमत सिंह बमुंडी शामिल रहे। इन सभी लोगों ने हिलॉंस को पाल पोस कर 16 साल का जवान बना दिया है। अतः हिलॉंस के उज्ज्वल भवि ष्य की कामना करते सभी उत्तराखण्डी संस्थाओं एवं जनमानस का हार्दिक धन्यवाद करते हैं, जि नके सहयोग से आज हम अपना 16वां वर्षगांठ मना रहे हैं।
आपकु सहयोग हमरु प्रयास, इनि बण्यूं रयां बारामास।