लैंसडाउन, उत्तराखण्ड के पौड़ी जिले में स्थित एक सुन्दर हिल स्टेशन है, जहां गढवाल रेजीमेंट भारतीय सेना का सैन्य.दल स्थित है। यह समुन्दरी तट से 1706 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। स्थानीय भाषा में इसे कालुदंड कहते हैं, जिसका अर्थ है काली पहाड़ी। आइए जानें लैंसडाउन की अन्य खासियत के बारे में…
1887 में भारत के वाइसरॉय रहे लोर्ड लैंसडाउन ने इस हिल स्टेशन की खोज की। औपनिवेशिक काल के दौरान यह स्वतंत्रता सेनानियों का प्रमुख स्थान था। अंग्रेजों ने इस स्थान को गढ़वाल राइफल्स प्रशिक्षण केंद्र के रुप में विकसित किया। आज यहां, भारतीय सेना का गढ़वाल राइफल्स कमांड ऑफिस स्थित है। बलूत और देवदार के जंगलों से घिरा यह हिल स्टेशन सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। साथ ही, यह पर्यावरणीय पर्यटन के लिए भी उत्तम स्थान है।
लैंसडाउन में सैर स्पाटे के लिए कई पर्यटक स्थल है। कंवाश्रम, जो मंदिरों के शहर पुरी का प्रवेश द्वार माना जाता है, लैंसडाउन का प्रसिद्ध आश्रम है। लैंसडाउन के हरे भरे जंगलों के बीच बने इस आश्रम के पास मालिनी नदी बहती है। किंवदंती है कि इसी स्थान पर महाऋषि विश्वामित्र ने तपस्या की थी। इसके अलावा, हिन्दू भगवान शिव को अर्पित तारकेश्वर महादेव मंदिर, यहां का पवित्र धार्मिक स्थान है। समुन्दरी तट से 2092 मीटर ऊँचाई पर स्थित, पहाड़ की चोटी पर बने इस मंदिर के दर्शन करने हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं।
गढवाल राइफल्स रेजिमेंटल युद्ध स्मारक और गढवाली मैस यहाँ के लोकप्रिय पर्यटक स्थल है, जिन्होंने लैंसडाउन के विख्यात पर्यटक स्थलों में अपना नाम दर्ज किया है। गढवाल राइफल्स रेजिमेंटल युद्ध स्मारक का निर्माण 11 नवंबर 1923 में भारत के पूर्व कमांडर इन चीफ, ट्रेंट के लोर्ड लोरींस्न ने किया था। 1888 में अंग्रेजों द्वारा बनाई गई गढवाली मैस लैंसडाउन की प्राचीन इमारत है। जो आज एशिया के प्रमुख संग्रहालयों में संघटित है। बूल्ला तालाब गढवाल राइफल्स के योद्धाओं को समर्पित, अप्राकृतिक सुन्दर झील, लैंसडाउन का आकर्षक स्थल है। इस झील का नाम गढवाली शब्द भुल्ला पर रखा गया है, जिसका अर्थ है छोटा भाई। सैलानी इस झील में नौका विहार और पैडलिंग का आनंद ले सकते हैं। तालाब को और सुन्दर बनाने के लिए यहाँ बच्चों के लिए पार्क, खूबसूरत फव्वारे और बांस के मचान लगाए गए हैं। 1895 में रॉयल इंजीनियर्स के एहेचबी ह्यूम द्वारा बनाई गई सेंट मैरी चर्च, लैंसडाउन की सुन्दर चर्चों में से एक है। 1947 में खंडित हुई इस चर्च को गढवाल रेजिमेंटल राइफल्स सेंटर ने पुनः स्थापित कर इसका प्रयोग स्वतंत्रता पूर्व भारतीय चित्रों के प्रदर्शन के लिए किया। रेजिमेंटल संग्रहालय, दुर्गा देवी मंदिर, सेंट जॉन चर्च, हवाघर और टिप इन टॉप लैंसडाउन के अन्य श्रेष्ठ आकर्षक स्थल है। ऐड्वेंचर प्रेमी चाहे तो इस क्षेत्र में ट्रैकिंग और जंगल सफारी का भी मजा ले सकते हैं। इस क्षेत्र का सबसे बढिया ट्रैकिंग रुट लवर्स लेन, ट्रैकिंग के कई विकल्प प्रदान करता है। विभिन्न प्रजातियों के वनस्पति और प्राणी समूहों से परिपूर्ण इस क्षेत्र के हरे भरे जंगलों में, सैलानी चाहे तो एक छोटी सी पैदल यात्रा पर जा सकते हैं। यहाँ कई टूर ऑपरेटर वाजिब दाम में जंगल सफारी और ट्रैकिंग का आयोजन करते हैं।
लैसडाउन जाने के लिए क्या करेंः लैंसडाउन के लिए राज मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग की सेवा उपलब्ध है। देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, लैंसडाउन का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। जबकि कोटद्वार रेलवे स्टेशन लैंसडाउन का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है।
लैंसडाउन जाने का सबसे अच्छा समयः मार्च से लेकर नवंबर महीने के बीच, यहां का वातावरण बहुत मधुर और सुहावना बन जाता है, जो इस स्थान को देखने का बढ़िया समय है।
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