उत्तराखंड हिलांस सांस्कृतिक कला मंच, पटियाला की टीम ने खरड़ में आयोजित कार्यक्रम गढ़ोत्सव में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया। यह कार्यक्रम गढ़वाल सभा, खरड़ की ओर से रविवार 8 दिसंबर 2019 को आयोजित करवाया गया। इस मौके पर मंच के निर्देशक धीरज सिंह रावत, महासचिव माधव सिंह बिष्ट, कोषाध्यक्ष गोबिंद सिंह रावत, उपनिर्देशक दिनेश चौहान, कोरियोग्राफर आरती बिष्ट, गायक विनीता चौहान, तबला वादक विनोद रावत और टीम के कलाकार मौजूद रहे। गौरतलब है कि कार्यक्रम को खरड़ के लोगों ने काफी सराहा। गढ़वाल सभा खरड़ की ओर से पूरी टीम को सम्मानित भी किया गया।
हमें गर्व है कि हम अपनी संस्कृति को प्रसारित करने में हमेशा सफल रहे: निर्देशक धीरज सिंह रावत
कार्यक्रम के बाद उत्तराखंड हिलांस सांस्कृतिक कला मंच के निर्देशक धीरज सिंह रावत ने हिलांस टॉट कॉम से बातचीत करते कहा कि हमें गर्व कि हम अपनी संस्कृति के प्रचार-प्रसार में हमेशा तत्पर रहे और सफल भी रहे। उन्होंने कहा कि जब तक संभव हो सकेगा हम हमेशा अपनी संस्कृति के हित में सहयोग करते रहेंगे।
मंच को और बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए करते रहेंगे काम: महासचिव माधव सिंह बिष्टमंच के महासचिव एंव गायक माधव सिंह बिष्ट ने कहा कि उनका प्रयास हर समय यही रहता है कि वह मंच को और बुलंदियों पर कैसे पहुंचाएं। हर बार जितना करते है वह कम ही लगता है। दिल में यही इच्छा रहती है अगली अपनी संस्कृति के लिए एक और लंबी छलांग लगाएंगे। बिष्ट ने कहा कि उम्मीद है उन्हें भविष्य में भी ऐसे मौके मिलते रहेंगे।
मंच ने गढ़वाली भाषा को जन-जन तक फैलाया: कोषाध्यक्ष गोबिंद सिंह रावत
मंच के कोषाध्यक्ष गोबिंद सिंह रावत ने कार्यक्रम के बाद हिलांस टॉट कॉम को बताया कि मंच कई साल से अपनी संस्कृति के प्रचार में निस्वार्थ भाव से काम कर रहा है। पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से मंच ने गढ़वाली भाषा को जन-जन तक फैलाने का काम किया है और आगे भी ऐसे ही निरंतर काम करता रहेगा।
कई साल काम किया और आगे भी और कई मंजिलें हैं : उप निर्देशक दिनेश चौहान
मंच के उपनिर्देशक दिनेश चौहान का कहना है कि खरड़ कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद महसूस हुआ कि हम अब काफी आगे निकल आए हैं, कई साल से काम कर रहे हैं, लेकिन हमें यहीं पर नहीं रुकना, क्योंकि अभी तो और भी मंजिलें बाकी हैं। हमारी पूरी टीम का यही प्रयास है कि हर बार कार्यक्रम में कुछ नया पेश करें और आगे बढ़ें, लेकिन अपनी संस्कृति के मूलता को प्रभावित न करें।
-आर प्रमोद