अगर पर्यटक घूमने के साथ-साथ अपनी सेहत भी बढ़ाना चाहते हैं, तो वह उत्तराखंड के ज्योलिकोट शहर में पर्यटक के लिए जरूर जाएं। यह ऐसी जगह है जहां प्रकृति प्रेमी और रोमांच प्रेमी दोनों अपनी पर्यटन की सभी इच्छाएं पूरी कर सकते हैं। आईए जानें पर्यटन स्थल ज्योलिटकोट की अन्य खासियतों के बारे में…
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में कुमाऊं के पहाड़ों में बसा ज्योलिकोट पर्यटन के लिए स्वर्ग है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 1219 मीटर है। यह नैनी झील का प्रवेश द्वार भी है। स्वामी विवेकानंद और श्री अरविंदो की यह तपोस्थली भी है। इस शहर के नजदीक नैनी झील, कॉर्बेट नेशनल पार्क, रामगढ़, मुक्तेश्वर, पंगोट देखने लायक हैं। बेर, आड़ू, नाशपाती की पैदावार ज्योलिकोट में बहुतायत में हैं और यहां कीवी, जैतून और स्ट्रॉबेरी का फल और फूलों का शुद्ध शहद सही कीमत पर मिल जाता है और यह सेहत को काफी फायदा पहुंचाते हैं। शहर में द कॉटेज देखने योग्य है, जो अब रिसोर्ट में बदल दिया गया है। पर्यटकों को यहां आकर सुखद प्रकृति का एहसास होता है। यह जगह प्रकृति प्रेमियों को रोमांचकारी लोगों के लिए मजेदार जगह है। कम ऊंचाई पर ट्रैकिंग और दुर्गम स्थिति वाले स्थलों का आनंद लिया जा सकता है।
ज्योलिकोट कैसे जाएं
-ज्योजिकोट के लिए आसपास के सभी स्टेशनों से बसें आसानी से मिल जाती हैं, इसके अलावा निजी तौर पर भी बुकिंग मिल जाती है।
– ज्योलिकोट से 18 किमी दूर काठगोदाम यहां का सबसे निकटतम रेलवने स्टेशन है। यहां से निजी तौर पर टैक्सी बुकिंग की सुविधा भी है।
– पंतनगर यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है, जो लगभग 50.8 किलोमीट की दूरी पर है। और यहां के लिए नई दिल्ली से नियमित उड़ाने हैं। आसपास के शहरों से यहां के लिए बसें भी आसानी से मिल जाती हैं।
ज्योलिकोट किस मौसम में जाएं
ज्योलिकोट में मौसम सदाबहार ही रहता है, सर्दियों में थोड़ा ठंड ज्यादा रहती है, लेकिन र्पयटकों सही इंतजाम के साथ साल के किसी भी महीने में ज्योलिकोट पर्यटन के लिए आ सकते हैं।