हिंदुओं में रुद्रनाथ मंदिर का विशेष महत्व है। इस मंदिर में भगवान शिव को नील कंठ महादेव के रूप में पूजा जाता है। यहां बहुत से प्राकृतिक दृश्य और मंदिर बहुत आकर्षित करते हैं। मंदिर चारों तरफ से कुंडों से घिरा है। इन कुंडों को देख कर भी मन को बड़ा सुकून मिलता है। यहां और कौन-कौन से आकर्षण हैं, आइए जानें इसके बारे में…
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित रुद्रनाथ अपने सुंदर प्राकृतिक दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। समुद्र तल से 2286 मीटर ऊंचाई पर विद्यमान यह जगह भगवान शिव को समर्पित रुद्रनाथ मंदिर के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान शिव को नीलकंठ महादेव के रूप में पूजा जाता है। पंच केदार तीर्थयात्रा में से एक यात्रा यहीं के लिए होती है। बाकी में केदारनाथ मंदिर, तुंगनाथ मंदिर, मध्यमहेश्वर मंदिर, और कल्पेश्वर मंदिर शामिल हैं। यहां हिमालय की घाटियों में जमी बर्फ मन मोह लेती है।
रुद्रनाथ में यह भी है देखने लायक
रुद्रनाथ मंदिर में चारों तरफ सूर्य कुंड, चन्द्र कुंड, तारा कुंड, मानकुंड है। हाथी पर्वत, नंदा देवी, नंदा घुंटी, और त्रिशूल आदि कई सुंदर पहाड़ियों को देखा जा सकता है। मनोहारी झील नंदी कुंड चारों ओर फैली बर्फ की पहाड़ियों के कारण बहुत सुंदर दिखती हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिवा की सवारी नंदी बैल इसी झील से पानी पिया करते थे। रुद्रनाथ ट्रेकिंग मार्ग का सबसे ऊंचा पॉइंट पित्रधर समुद्र तल से 4 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थिति है। एकांत का इच्छावान इस जगह जरूर आना चाहेगा। गांव सागर और जोशीमठ से ट्रैकिंग के जरिए इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। पनार बुगियल घास का मैदान सुंदर वन्य फूलों से सजा है, जिसकी सुंदरता आकर्षित करती है। गोपेश्वर रुद्रनाथ से सिर्फ 23 किलोमीटर दूर यहां, जाहां से पैदल यात्रा भी की जा सकती है।
पांडवों ने बनवाया था मंदिर
ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर पांडवों ने बनाया था। महाभारत के युद्ध में कौरवों को मारने के दोषी पांडव भगवान शिव से क्षमा चाहते थे। लेकिन भगवान शिव उन्हें नहीं मिलना चाहते थे और अपने आप को उन्होंने नंदी बैल के रूप में परवर्तित कर दिया और गढ़वाल के इलाके में कहीं छुप गए। इसके बाद भगवान शिव का शरीर चार अलग-अलग भागों में विभाजित हो गया। जहां भगवान शिव का सिर मिला वहां रुद्रनाथ मंदिर बन गया।
रुद्रनाथ कैसे जाएं
-रुद्रनाथ के लिए देहरादून, हरिद्वार, कोटद्वार और ऋषिकेश से बसें आसानी से मिलती हैं, यहां से निजी तौर पर कार या टैक्सी बुक करके भी जा सकते हैं।
-रुद्रनाथ का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो यहां 215 किलोमीटर की दूरी पर है। इसके बाद बसें और निजी वाहन बुक करके भी जा सकते हैं।
-रुद्रनाथ के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट है, जो 230 किलोमीटर दूर है, यहां से भी बसें और निजी साधन उपलब्ध हैं।
किस मौसम में जाएं
रुद्रनाथ जाने का सबसे सही समय अप्रैल से नवंबर है। इस दौरान यहां की यात्रा करना सही रहेगा। अप्रेल से नवम्बर का समय इस स्थान कि यात्रा के सबसे उत्तम समय है।