पूर्व काल में कार्तिकेयपुरा के नाम से जाना जाता था जोशीमठ। आदि शंकराचार्य की ओर से स्थापित किए चार मठ में से एक है यह जोशीमठ। इस शहर में हिंदू धर्म से जुड़े मंदिर बहुतायत में हैं। इसलिए आध्यात्मिक व्यक्तित्व वाले पर्यटक यहां आकर आध्यात्म की प्राचीन बातों से रूबरू हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं जोशीमठ के बारे में…
उत्तराखंड के चमोली जिले में बसा है पवित्र शहर जोशीमठ। इसे आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में स्थापित किया था। इस काल में आदि शंकराचार्य ने कुल चार मठ बनाए थे, जोशीमठ इनमें से एक है। हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों से घिरा यह शहर समुद्र तल से 6 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थिति है। इस शहर में हिंदु धर्म से जुड़े मंदिर बड़ी संख्या में मौजूद हैं और यहां हिंदू धर्म के लिखित वेद अथर्ववेद का पाठ करना काफी पवित्र समझा जाता है।
पूर्व काल में इस शहर को कार्तिकेयपुरा के नाम से जाना जाता था। उत्तराखंड राज्य में पर्यटन के आने वाले पर्यटकों को जोशीमठ जरूर आना चाहिए, क्यों कि इस शहर को न देख तो फिर क्या देखा। कामाप्रयाग क्षेत्र में पड़ती इस जगह में नदी धौलीगंगा और नदी अलकनंदा का संगत होता है। जोशीमठ से करीब 24 किलोमीटर दूरी पर नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क है, इसे संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने साल 1988 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया।
जोशीमठ से ट्रैकिंग का मिलता भरपूर आनंद
खतरों के खिलाड़ियों और ट्रेकिंग पसंद पर्यटाकें के लिए जोशीमठ एक आदर्श स्थल है। यहां से चमोली जिले के ऊपरी क्षेत्रों में ट्रैकिंग का भरपूर आनंद लिया जा सकता है, जो आप को पूर्ण तौर पर रोमांचित कर सकता है। इलाके के सबसे प्रसिद्ध ट्रैकिंग मार्ग जोशीमठ शहर से ही शुरू होते हैं। अगर आपको फूलों की घाटी जाना है तो यहीं से उस ओर रास्ता जाता है। जोशीमठ के आसपास सैर करने के लिए बहुत ही आकर्षक स्थल हैं।
कल्पवृक्ष के नीचे आदि शंकराचार्य ने की थी घोर तपस्या
सैर करने की इच्छा है तो कल्पवृक्ष स्थल से बढ़िया जगह और कहां मिलेगी। यह देश का सबसे पुराना पेड़ है, जो अपनी जगह पर बरसों से सीना तान कर खड़ा है। स्थानीय लोगों की मानें तो 1200 साल पुराने और कुल 21.5 मीटर पिरिधि वाले इस पेड़ के आदि गुरु शंकराचार्य ने घोर तपस्या की थी।
जोशीमठ में इन जगहों पर भी जरूर जाएं
पर्यटक जब जोशीमठ में पर्यटन के लिए जाएं तो यहां नरसिंह भगवान को समर्पित नरसिंह मंदिर जरूर जाएं, मान्यता है कि यह मंदिर संत बद्री नाथ का घर होता था। हैरानी की बात है कि इस मंदिर में स्थापित भगवान नरसिंह की मूर्ति समय बीतने के साथ ही सिकुड़ती जा रही है। मान्यता है कि एक दिन यह मूर्ति पूरी तरह समाप्त हो जाएगी और उस दिन भयंकर भूस्खलन के कारण बद्रीनाथ को जाने वाला रास्ता बंद हो जाएगा।
जोशीमठ कैसे जाएं
-जोशीमठ के लिए नजदीक चोरों ओर से सरकारी और निजी बसें चलती हैं। निजी तौर पर भी गाड़ी बुक करके जाया जा सकता है।
-जोशीमठ से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट है। यहां से भी सभी तरह की सड़क मार्ग की सुविधाएं हैं। यहां से निजी तौर पर भी वाहन बुक कर सकते हैं।
-जोशीमठ के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, यहां से भी सड़क मार्ग की हर तरह की सुविधा उपलब्ध है।
जोशीमठ किस मौसम में आएं
पर्यटन के लिए जोशीमठ आने का सही समय गर्मियां है, इन दिनों मौसम बेहद खुशनुमा होता है, लेकिन सर्दियों में यहां बहुत बर्फबारी होती है। मॉनसून के दौरान बहुत ज्यादा बारिश होती है। इस लिए यहां चलने से पहले एक बार मौसम का अनुमान जरूर लगा लें।