चार धामों में से एक है यमुनोत्री

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में समुद्र तल से 3293 मीटर ऊंचाई पर स्थित है तीर्थ स्थल यमुनोत्री। यमुना नदी का यह उदगम स्थल बंदर पुंछ पर्वत पर स्थित। भौगोलिक दृष्टि से तो यमुना नदी कालिंद पर्वत के चंपासर ग्लेशियर से निकलती है, जो समुद्र तल से 4421 मीटर की ऊंचाई पर है। आइए जानते हैं यमुनोत्री की अन्य खासियतों के बारे में…

चंपासर ग्लेशियर पवित्र मंदिर यमुनोत्री से 1 किमी की दूरी पर है। यह भारत-चीन सीमा के नजदीक स्थित है। यमुनोत्री तक पहुंचने में एक दिन लगता है। हनुमान चट्टी से यमुनोत्री धाम पहुंचने का सिर्फ पैदल मार्च किया है जो 14 किलोमीटर दूर है। श्रद्धालु यहां से घोड़े खच्चरों की सवारी भी सकते हैं।
चार धाम में से एक यमुनोत्री धाम की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। देवी यमुनोत्री को समर्पित यह मंदिर दार्शनिक है। कहा जाता है कि यमुनोत्री मंदिर टिहरी गढ़वाल के महाराज प्रताप शाह ने बनवाया था। जानकी चट्टी पर स्थित गर्म पानी के फव्वारे भी देखने लायक हैं। सूर्य कुंड सबसे महत्वपूर्ण गर्म पानी का फव्वारा माना जाता है। श्रद्धालु इस गर्म पानी में प्रसाद बना लेते हैं। गांव खरसाली के झरने, भगवान शिव को समर्पित प्राचीन मंदिर हैं, यमुनोत्री मंदिर के पास दिव्य शिला की श्रद्धालु पूजा करते हैं। बड़कोट शहर, हनुमान चट्टी भी घूमने लायक है।

यमुनोत्री कैसे जाएं
यात्री हनुमान चट्टी से यमुनोत्री तक पशु या स्पेशल बुकिंग करवा कर गाड़ी ले जा सकते हैं। देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी और ऋषिकेश से हनुमान चट्टी पहुंचने के लिए बस और टैक्सी सेवा उपलब्ध है।

यमुनोत्री धाम से ऋषिकेश रेलवे स्टेशन 200 और देहरादून रेलवे स्टेशन 175 किलोमीटर दूर है। यहां से टैक्सी और कैब से यमुनोत्री तक पहुँच सकते हैं।

यमुनोत्री धाम से जॉली ग्रांट हवाई अड्डा 210 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां से भी हनुमान चक्की तक किराए पर टैक्सी ली जा सकती है।

यमुनोत्री किस मौसम में जाएं
मई-जून और सितंबर-नवंबर का समय बेहतरीन है। यमुनोत्री में गर्मी का मौसम अप्रैल से जुलाई महीने के बीच रहता है। यहां मानसून में वर्षा कम होती है। सर्दियों के दौरान, इस क्षेत्र में भारी बर्फबारी होती है और तापमान शून्य से नीचे चला जाता है।

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