उत्तराखंड के जिला उत्तरकाशी में गंगोत्री ग्लेशियर के आखिर में स्थित है खूबसूरत स्थल गोमुख। गोमुख का उद्गम स्थल गाय के मुंह जैसा दिखने की वजह से इसको यह नाम दिया गया है। शिवलिंग पीक इसी जगह के पास है। गोमुख से निकलने वाली नदी भगीरथी और गंगा नदी की सहायक स्रोत है। आइए जाने गोमुख की अन्य खासियतों के बारे में…
यहां आकर पर्यटक सुंदर घास के मैदान और अन्य आकर्षणों का आनंद ले सकते हैं। इनमें हिमालय क्षेत्र के सबसे बड़े ग्लेशियरों में से एक गंगोत्री ग्लेशियर, शिवलिंग पीक, थालय सागर, मेरू और भागीरथी तृतीय की बर्फ से ढकी पहाड़िया शामिल हैं। ट्रैकिंग करने के शौकीन परेटो के लिए यह बहुत अच्छी जगह है। ट्रैकिंग का रास्ता गंगोत्री से शुरु होकर गीला पहाड़, चिरबासा से होकर जाता है। यहां का भूस्खलन और ऊंची ढलाने काफी चुनौतीपूर्ण है। तपोवन और नंदनवन की ट्रैकिंग गोमुख से।ही शुरू होती है। इसके अलावा गंगोत्री ग्लेशियर से रक्तवर्ण, चतुरंगी और कीर्ति जैसी सहायक नदियां भी निकलती हैं।
हर साल 19 मीटर पिघल रहा है ग्लेशियर
गंगोत्री ग्लेशियर को 1780 में मापा गया था। इसके तहत ग्लेशियर की मात्रा 27 घन किलोमीटर है। लंबाई करीब 30 किलोमीटर और चौड़ाई 4 किलोमीटर है। तब से यह ग्लेशियर हर साल 19 मीटर पिघल रहा है। अगर हमने पर्यावरण का संरक्षण ना किया तो गंगोत्री ग्लेशियर के पिघलने की दर अपुर तेज हो जाएगी जो मानवता के लिए नुकसानदायक है। इस लिए आओ सभी पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का प्रण करें।
गोमुख जाने का मार्ग
हरिद्वार के बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन करीब एक ही जगह पर हैं। यहां से गोमुख करीब 230 किलोमीटर है। हरिद्वार से टैक्सी बुक करके सीधे गोमुख पहुंचा जा सकता है। हरिद्धार, ऋषिकेश, मसूरी, देहरादून, टिहरी और यमुनोत्री से सरकारी बसें भी चलती हैं।
गोमुख जाने के लिए सही समय
गोमुख जाने का सहिंसमय गर्मियां है। जून जुलाई में जान बेहतर रहेगा।