कलसी

अगर आपको पर्यटन में दुर्लभ पक्षियों को देखने के साथ-साथ नौकायन, मछली पकड़ना या अन्य साहसिक खेलों का आनंद लेना है तो इसके लिए कलसी से अच्छ पर्यटन स्थल और कहां मिलेगा। प्राचीन स्मारक, सैर सपाटा और साहसिक खेलों के लिए इस जगह को पर्यटकों की ओर से बहुत पसंद किया जाता है। आइए जानते हैं कलसी कि अन्य खासियत के बारे में…

उत्तराखंड के देहरादून जिले में स्थित जौनसार-बावर का प्रवेश द्वार ‘कलसी’ बहुत ही आकर्षक पर्यटन स्थल है। यमुना और टोंस नदी के संगम स्थल पर बसी यह जगह समुद्र तल से 780 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। डाक पत्थर यहां की एक सुंदर जगह है। इस जगह होवरक्राफ्ट, नौकायन, वाटर स्कीइंग, कैनोइंग व अन्य गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं। यमुना नदी के स्वच्छ पानी में राफ्टिंग का भी अच्छ विकल्प है। दुर्लभ पक्षियों की आरामगाह आसन बैराज भी आकर्षित करता है। आईयूसीएन की रेड डाटा बुक ने यहां रहने वाले पक्षियों को दुर्लभ प्रजातियों की श्रेणी में डाला है। पक्षी प्रेमियों के लिए यह जगह स्वर्ग से कम नहीं, यहां कई ऐसी प्रजाति के पक्षी हैं, जो शायद आपने कभी देखे ही नहीं होंगे। पक्षी प्रेमी इस जगह पर आकर करीब 90 प्रतिशत जलपक्षियों और 11 प्रतिशत प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों को देखने का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं।

अशोक का शिलालेख यहां के प्राचीन स्मारकों में से एक है। 253 ई.पू. में इस शिलालेख पर मौर्य राजा अशोक ने 14वां फरमान अंकित करवाया था। इसमें कई सुधारों और सलाह के बारे में जानकारी दी गई है। जिसको प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में लिखा गया है। शिलालेख की ऊंचाई 10 फीट और चौड़ाई 8 फीट है। इसके अलावा निजी रिसोर्ट सितंबर से अक्टूबर और मार्च से अप्रैल तक महसीर मछली पकड़ने का ऑफर देते हैं। कट्टा पत्थर, चकराता, तिमली पास भी मदहोश कर देने वाली जगह हैं।

कलसी कैसे जाएं
-कलसी जाने के लिए नई दिल्ली के अलावा आसपास के सभी शहरों से बसों की सुविधा उपलब्ध है। निजी तौर पर भी टैक्सी बुकिंग कर सकते हैं।
-देहरादून से ट्रेन के माध्यम से पर्यटक इस जगह पहुंच सकते हैं।
-कलसी का सबसे नजदीकी हवाई अड्ज्ञ जॉलीग्रांट है, यह कलसी से 73 किलोमीटर दूरी पर स्थिति है।

कलसी किसी मौसम में जाएं
इस रमणीक जगह पर पर्यटक गर्मी के मौसम में घूमने जा सकते हैं, हालंकि यहां अन्य मौसम में भी आ सकते हैं।

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