औली जैसे पर्यटन स्थल बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। ये पूरी दुनिया में स्कीइंग के लिए मशहूर है। यह खूबसूरत जगह समुद्रतल से 2800 मीटर ऊपर स्थित है। यह जगह ओक धार वाली ढलानों और सब्ज़ शंकुधारी जंगलों के लिए जानी जाती है। यह जगह आकर्षित करती है। आइए जाने औली की अन्य खासियतों के बारे में…
औली का इतिहास 8वीं शताब्दी में पाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, गुरु आदि शंकराचार्य इस पवित्र स्थान पर आए थे। इस जगह को बुग्याल भी कहा जाता है जिसका स्थानीय भाषा में अर्थ है घास का मैदान। ओस की ढलानों पर चलते हुए पर्यटक नंदादेवी, मान पर्वत तथा कामत पर्वत शृंख्ला के अद्भुत नजारे देख सकते हैं। यात्री इन ढलानों से गुजरने पर सेब के बाग और हरेभरे देवदार के पेड़ देख सकते हैं। औली का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल, नंदप्रयाग, अलकनंदा और नंदाकिनी नदियों के संगम पर स्थित है।
हिंदू धर्म के लोगों के लिए इस संगम में डुबकी लगाना धार्मिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। केदारनाथ और बद्रीनाथ के लिए यह प्रवेश द्वार है जहाँ से यात्री बर्फ से ढके पहाड़ों के सुंदर नज़ारों का आनंद ले सकते हैं। यह जगह सरकार द्वारा बनाई गई कृत्रिम औली झील के लिए प्रसिद्ध है जो विशेष रूप से कम बर्फबारी के महीनों में नई स्की ढलानों पर कृत्रिम बर्फ उपलब्ध कराने के लिए उपयोग की जाती है। यहाँ आने पर पर्यटक भविष्य बद्री भी देख सकते हैं जो समुद्रतल से 2744मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। बद्रीनाथ, योगध्यानबद्री, आदिबद्री तथा वृद्धबद्री के बाद पांच बद्री तीर्थों में से एक होने के कारण इस जगह का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। गुरसो बुग्याल एक खूबसूरत जगह है जो गर्मियों में बहुत हरी-भरी रहती है। यह जगह कोनिफर और ओक के हरेभरे जंगलों से घिरी हुई है। जोशीमठ से रज्जुमार्ग के द्वारा पर्यटक यहाँ पहुँच सकते हैं।
गुरसो बुग्याल के पास छत्तरकुंड झील नामक ऐ छोटा सा जलाशय है। औली के पास स्थित छोटे से गाँव सैलधर तपोवन में यात्री एक प्राकृतिक झरना और एक मंदिर भी देख सकते हैं। औली की बर्फीली ढलानों पर स्कीइंग का भरपूर मज़ा लिया जा सकता है। अल्पाइन स्कीइंग, नार्डिक स्कीइंग तथा टेलीमार्क स्कीइंग का आनंद लेने के लिए ये ढलानें बेहतरीन हैं। एशिया की सबसे लंबी केबल कार औली में है जो 4 किलोमीटर की दूरी तय करती है। केबल कार को गोंडोला कहते हैं जिसमें चेअर लिफ्ट और स्की लिफ्ट की सुविधा उपलब्ध है। स्नो पैकिंग मशीन और स्नो बीटर की सहायता से इन ढलानों को नियमित रूप से समतल किया जाता है। हिमालय क्षेत्र में औली ट्रैकिंग के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ जोशीमठ ट्रैकिंग रूट बहुत लोकप्रिय है। इस क्षेत्र के विभिन्न रास्तों पर ट्रैकिंग करते हुए कामेत, नंदादेवी, मान पर्वत तथा दुनागिरी पर्वत देखे जा सकते हैं। समुद्रतल से 7160 मीटर ऊपर स्थित त्रिशूल पर्वत औली का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। इस पर्वत का नाम भगवान शिव के त्रिशूल से लिया गया है। यह एक लोकप्रिय स्कीइंग स्थल है और साथ ही भारत.तिब्बती सीमा पुलिस बल के जवानों के लिए ट्रेनिंग का मैदान भी है। इस पर्वत की तलहटी पर पर्यटक रूपकुंड झील भी देख सकते हैं।
औली जाने के लिए क्या करेंः औली तक यात्री आसानी से वायुमार्ग, रेलमार्ग तथा सड़कमार्ग द्वारा पहुँच सकते हैं। औली का निकटतम एयरबेस देहरादून का जौली ग्रांट हवाईअड्डा है और निकटतम मुख्य रेलवे स्टेशन हरिद्वार रेलवे स्टेशन है। औली के लिए पास के शहरों से बसें भी उपलब्ध रहती हैं।
जाने का सबसे अच्छ समयः मौसम सुहावना होने के कारण गर्मियों में इस जगह आना सबसे अच्छा रहता है।